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विकास की पोल खोलती एक तस्वीर, जबाव दे जिम्मेदार
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बाड़मेर की गिडा तहसील क्षेत्र में सडक़ों ही दुर्दशा तो जग-जाहिर हैं अब पेयजल और खारे पानी के लाले भी ग्रामीणो को पड़ रहे हैं। पिछले दिनों एक राज्य स्तरीय समाचार पत्र में छपी खबर और सोश्यल मीडिया पर चल रहे विडिया क्लीप्स और फोटों के साथ अखबार की कतरने उन दावों की पोल खोलते नजर आते हैं कि बायतू विकास में सिरमौर हैं। उन तमाम दावों को झूनझुना साबित करने के लिए उस अखबार में छपी तस्वीर ही काफी हैं, आज जहां घरों यहां तक की रसाई घरों में पाली टोंटी(नल) के जरिये आता हैं लेकिन गांवो में बसने वाली महिलाओं को मीलों सफर के साथ 100 फिट गहरे बेरियों से पानी खींचने को मजबूर होना पड़ रहा हैं। एक गांव या एक कुए की तस्वीर नही हैं, बाड़मेर जिले के देहाती इलाकों में चले जाएंगे तो आज भी 25 से 30 साल पुरानी तस्वीर नजर आती हैं, वहां कुछ भी नही बदला, ग्रामीण बताते हैं कि नेता आते हैं वो भाषण देने में माहिर होते हैं , अपने बोलों पर लोगों की तालियां बटौर लेते हैं, पर धरातल पर हमे कुछ भी नजर आता हैं। जब हमने ग्रामीणों से बात करनी चाही तो उनकी और से साफ कहना था कि कोई नेता चुनावों वक्त तो खूब उछल कूद करते हैं लेकिन उसके बाद काम के नाम पर कुछ नही कर पाते। खैर क्या करें लोकतंत्र हैं इसमें झेलना पड़ता हैं, पर ऐसी तस्वीरे जब सामने आती हैं तो दिल को झकझोर कर देती हैं।
बंशीलाल चौधरी
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