पाले हुए कुत्ते काटने लगे पिंडिया!
सिवाना में SDM से अभद्रता हो या फिर सिणधरी में डिप्टी CMHO को धमकी
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दिव्य पंचायत
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वर्तमान के दौर में जहां इंसान अपनी जिंदगी बचाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है, इस वक्त में भी कई लोग अपना अवसर तलाश रहे है। बाड़मेर जिले में भी इन दिनों यही चल रहा है, बॉर्डर से लेकर सम्पन्न इलाको में सब जगह अवसर को भुनाने में लगे लोग दिख रहे है। बात की जाए मेडिकल क्षेत्र की तो देश मेडिकल इमरजेंसी से गुजर रहा है, देश में कई मेडिसिन व मेडिकल इक्यूपमेंट को सरकार अतिआवश्यक वस्तुएं घोषित कर चुकी है, लेकिन कालाबाजारी की खबरे रोज देखते है। लेकिन जब ऐसे नजारे बाड़मेर जैसे शांत जिले में दिखने लग जाए तो क्या कहेंगे? सोमवार के शाम को बाडमेर जिले के सिवाना विधानसभा क्षेत्र से दो खबरे निकल कर सामने आई। दोनों ही खबरों में प्रशासन की नाकामी कहे तो भी कोई अतिशयोक्ति नही। दोनों खबरे मेडिकल क्षेत्र से जुड़ी हुई, एक फर्जी हॉस्पिटल की तो एक सरकारी अस्पताल बिल्डिंग में फर्जी युवक द्वारा भाड़े के लाइसेंस पर फर्जी क्लिनिक्स का संचालन करना।
खबरे कान खोलने वाली है, लेकिन इन खबरों से जो तथ्य और परिदृश्य उभरे वो बाड़मेर के लिए घातक संकेत भी। क्या बाड़मेर में ड्रग्स माफिया पनप रहे है? छोटे स्तर पर कार्रवाई के दौरान भी अधिकारियों को अपनी फजीहत करवानी पड़ रही है? तो फिर बड़े किसी संस्थान में कांड कर दिया तो कौन न्याय करेगा। जरा सोचिए?
बाड़मेर जिला मेडिकल क्षेत्र में आग के गोले पर है, हर गांव- कस्बे में जिंदगी के दलाल मिल जायेंगे। यह अलग बात है कि सरकार के ड्रग्स इंस्पेक्टर होली, दीवाली और मौसमी सीजन में उनके दर पहुँच जाते है।
ऐसे में अब कोरोना की विकट परिस्थिति में प्रशासन ऐसे कुकरमुत्तो में खिलाफ कार्रवाई करने पहुंच रहा है तो उनकी दुसरीं तस्वीरे साफ बया कर रही है, इनकी इतनी औकात तो नही है फिर भी जिनको अपनी छत्र छाया में पाला जाए वो अपना रंग एक न एक दिन तो जरूर दिखायेगा।
बात सिवाना के फर्जी अस्प्ताल की हो या सिणधरी के खारा महेचान PHC में एक जनप्रतिनिधि की भाषा दोनों की असलियत यही है, कहीं न कही विभागीय शह ही अधिकारियो की फजीहत करवा रही है। बाडमेर जिले में यही हालात रहे तो आने वाला वक्त मेडिकल क्षेत्र में विकट परिस्थियां पैदा करेगा, जिसका जवाब न राजनेताओं के पास होगा न सरकार के पास।
अब तो यह पालतू अपनी हद्दे पर कर रहे है। अब वक्त तो यही कहता है कि जिले में एक अभियान चलाया जाए जिससे गांव की ढाणियों व कस्बो के चौराहों पर जमे इन नकद दामादों का सफाया हो सके अन्यथा अब रुझान आने शुरू हो गए है।
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बंशीलाल चौधरी
(Master of journalism & LLB)
सम्पादक
दिव्य पंचायत हिंदी समाचार पत्र
9166522591
www.divyapanchayat.blogspot.com
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