Monday 31 July 2017

 जालोर: बैरक में रखने के बजाय बाहर खुले में छोड़ा, रात को कोतवाली में मोबाइल पर बातें और व्हाट्सअप पर चैट करता रहा आयुक्त

राज्य स्तरीय समाचार पत्र की टीम  रात 10 बजे कोतवाली पहुंची तो बरमूड़ा-टी शर्ट में घूमता कैमरे में हुआ कैद

 जालोर/ रिश्वतके आरोप में रविवार सुबह ट्रेप हुए नगर परिषद आयुक्त त्रिकमदान चारण की पुलिस कोतवाली ने रात भर पूरी खातिरदारी की। जिस आयुक्त को एसीबी ने रविवार शाम को कोतवाली थाने के बैरक में एक बंदी की तरह डालकर कोतवाली को सुपुर्द किया था, उसे कोतवाली स्टाफ ने एसीबी के जाते ही बैरक से बाहर निकालकर ना केवल कपड़े, पंखा, घर का बिस्तर उपलब्ध करवाया बल्कि मोबाइल तक थमा दिया। जिस पर शाम 7.38 बजे तक ना केवल वह व्हाट्स पर चैट करता रहा, बल्कि 10 बजे तक कोतवाली परिसर में घूमकर फोन पर बातचीत करता रहा। इधर, सूचना पर  टीम वहां पहुंची तो आयुक्त कोतवाली परिसर में बरमुड़ा-टीशर्ट में मोबाइल पर बात करते हुए घूम रहा था। जब फोटो लेने लगे तो दौड़ता हुआ कोतवाली के अंदर भाग गया।

कॉलडिटेल निकालने पर खुल सकते हैं और राज :

 आयुक्तत्रिकमदान चारण ने पुलिस कोतवाली में होने के बावजूद रात करीब साढ़े 10 बजे तक मोबाइल पर बातचीत की। ऐसे में एसीबी यदि उसकी कॉल डिटेल निकाल कर देखे तो इस मामले में और भी राज खुल सकते हैं कि इस दौरान उसने किस-किस से बात कर एसीबी की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की। शेष|पेज15

आयुक्त को किया निलंबित 

रिश्वत के आरोप में धरे गए आयुक्त को स्वायत्त शासन विभाग जयपुर के निदेशक एवं संयुक्त सचिव ने निलंबित कर दिया है। इधर, सोमवार को पाली एसीबी कोर्ट में पेश करने पर उसकी जमानत हो गई है। निलंबन के दौरान मुख्यालय जयपुर होगा।

10.30 बजे तक कोतवाली में घूम रहा था आयुक्त 

राज्य स्तरीय समाचार पत्र की टीम को सूचना मिली कि आयुक्त पुलिस कोतवाली थाना परिसर में मोबाइल पर बात करते हुए घूम रहा है। इस पर जब टीम वहां पहुंची तो आयुक्त वहां घूम रहा था। इसके अलावा अंदर उसके लिए पंखा तथा घर से बिस्तर लाए हुए रखे थे। इधर, जब आयुक्त के फोटो लिए गए तो वहां मौजूद पुलिसकर्मी चंद्रचूड़़ तथा एक अन्य पुलिसकर्मी ने बदतमीजी की बल्कि मोबाइल भी छीनकर फोटो डिलीट करने का कहने लगे।

इनका कहना है... 

प्रदेश के राज्य स्तरीय समाचार पत्र के अनुसार सोमवार सवेरे इस तरह की शिकायतें मिली थी कि कोतवाली ने आयुक्त को वीआईपी सुविधा उपलब्ध करवाई। रिश्वत में ट्रेप होने के बाद वह एक आरोपी था। जिसे एक बंदी की तरह हमने अंडरगारमेंट में बैरक में डालकर कोतवाली को सुपुर्द किया था। उस बैरक के बाहर उसकी निगरानी के लिए एक संतरी भी लगाया जाता है, लेकिन यदि उसे बाहर रखा गया और मोबाइल आदि की सुविधा दी गई तो कानूनन गलत है।

- अन्नराज राजपुरोहित, पुलिस उप अधीक्षक, एसीबी चौकी, जालोर 

यदि ऐसा है तो पता करवाता हूं 


मुझे इस तरह की जानकारी नहीं है। पता करवाता हूं। इसके बाद आवश्यक कार्रवाई की जा सकेगी।

- विकास शर्मा, पुलिस अधीक्षक, जालोर 

साभार दैनिक भास्कर

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