Friday 15 December 2017

झूठी खबर प्रकाशित करना जनता से अपकार, मीडिया को कुछ भी बोलने का विशेषाधिकार नहीं : हिमाचल हाईकोर्ट


झूठी खबर प्रकाशित करना जनता से अपकार, मीडिया को कुछ भी बोलने का विशेषाधिकार नहीं : हिमाचल हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि झूठा समाचार प्रकाशित करना जनता के लिए अपकार है और मीडिया को उच्चस्तरीय मानक अपनाने चाहिए और खबर फैलाने से पहले इसकी सत्यता की जांच कर लेनी चाहिए।
बेंच ने कहा कि जब से देश में लिखित संविधान बना है, ये साफ है कि बोलने की आजादी संपूर्ण असीमित अधिकार नहीं है। अनुच्छेद 19(2) उन अधिकारों पर
वाजिब रोक लगाता है जो अनुच्छेद 19(1)(a) में
गारंटी दी जाती है। इसलिए मास मीडिया को उच्चस्तरीय मानक अपनाने चाहिए और खबर फैलाने से पहले इसकी सत्यता की जांच करना उसकी जिम्मेदारी है। गलत खबर प्रकाशित करने को को जनसेवा नहीं कहा जा सकता। खबर का हर पहलू व हिस्सा जनहित नहीं होता।

जस्टिस तरलोक सिंह चौहान ने ये टिप्पणी ट्रायल कोर्ट के दिव्य हिमाचल अखबार के खिलाफ आदेश की अपील को खारिज करते हुए की। ट्रायल कोर्ट ने एक हज्जाम के खिलाफ ग्राहकों से ज्यादा पैसे ऐंठने की खबर प्रकाशित करने पर डिक्री जारी की थी और हज्जाम को उसकी मानहानि के लिए दस हजार रुपये क्षतिपूर्ति के आदेश दिए थे।

हाईकोर्ट ने कहा कि प्रैस की आजादी हमेशा के लिए संपूर्ण, असीमित और निरंकुश नहीं है क्योंकि अगर उसे अप्रतिबंधित आजादी दी गई तो ये अनियंत्रित लाइसेंस देने के समान होगा।
कोर्ट ने कहा कि किसी भी जर्नल या अखबार के संपादक पर बडी जिम्मेदारी है कि वो असत्य खबरों पर रोक लगाएं और इसके पीछा आसान कारण ये है कि एक सामान्य व्यक्ति के मुकाबले उनकी बोली दूर तक जाती है। चूंकि ये बात छपी होती है तो लोग उस पर भरोसा करते हैं।इसलिए प्रैस की आजादी को सरंक्षित करने के लिए कुछ अंकुश लगाना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि ये प्रकाशक और संपादक की जिम्मेदारी थी कि वो खबर की सूचना को प्रकाशित करने से पहले चेक करें जो उन्हें एजेंट के जरिए मिली।
कोर्ट ने ये भी टिप्पणी कि किसी अखबार को
किसी जनहित मामले में समुदाय के अन्य लोगों से
अलग कोई विशेषाधिकार नहीं है। ये पत्रकार की
डयूटी है कि वही शिकायतें छापे जिसके सही होने
को लेकर वो संतुष्ट हों। अगर वो मानहानि प्रकृति
की शिकायतें, जो सही नहीं हैं, प्रकाशित करता है
तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे। किसी भी
सामान्य व्यक्ति के खिलाफ कोई खबर प्रकाशित
करते पर कानून की नजर में एक पत्रकार की स्थिति
एक अन्य व्यक्ति की तरह ही है। वो कुछ भी कह
सकता है, इस तरह का विशेषाधिकार उसे नहीं है।

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