Saturday 29 January 2022

कहीं अनजाने में हम अपने बच्चों की सांसें तो नहीं छीन रहे ?

 कहीं अनजाने में हम अपने बच्चों की सांसें तो नहीं छीन रहे ?

सीमा रंगा इन्द्रा
हरियाणा
आधुनिकरण, विकास ने पेड़ -पौधों को बिल्कुल कम कर दिया है क्या  यह सब हमारे लिए फायदेमंद है? जो आज हम देख रहे हैं चारों तरफ बिल्डिंग,माल, दुकानों ने जगह बना ली है। विकास तो चरम पर है ,परंतु इस विकास को आगे ले जाने के चक्कर में हम पेड़- पौधे प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं। आप सब ने देखा होगा कोरोना काल में कैसे ऑक्सीजन की कमी हो रही थी ।ग्रामीण इलाकों में ऑक्सीजन की आवश्यकता कम महसूस हो रही थी। क्योंकि उनका खानपान पेड़ -पौधे , जड़ी -बूटियों के साथ रहना भी एक कारण है। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा हरियाली कम होती जा रही है। अब तो आपस में बैठकर बातें करते हैं कि इस स्थान पर एक विशाल पेड़ हुआ करता था ।जिसकी छांव में बैठकर हम पढ़ते थे। हम चौपाल लगाते थे या फिर पशु -पक्षी आते जाते थक कर बैठ जाते थे। बहुत सारे पक्षियों का बसेरा था ।पेड़ पौधे सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं देते फल- फूल, पत्ते लकड़ी भी देते हैं ।सबके काम भी आते हैं।
 सबसे बड़ी बात सबको छांव भी देते हैं ।थकान उतार देते हैं और सबसे बड़ी बात लेखकों ने इतने उपन्यास, वेद, कहानियां ,कविताएं सब इन पेड़ों की छांव में बैठकर ही लिखे हैं। यह हमें नहीं भूलना चाहिए कई प्रकार के फल हमें पेड़ों से ही प्राप्त होते हैं, जो फल हमारे टेबल पर सजे रहते हैं सब पेड़ों की वजह से ही है। कई पेड़ों पर फूल लगते हैं जो दवाइयां बनाने के काम आते हैं।  हजारों पेड़ हैं जिनके पत्तों से दवाइयां बनाई जाती है। खाने के काम आते हैं। मुझे नहीं लगता किसी का बिना लकड़ी के काम चल सकता है। पैदा होने से लेकर आखिरी समय तक लकड़ी हमारे जीवन में विशेष भूमिका निभाती है। चाहे घर की कुर्सी ,मेज ,बेड हो या दरवाजे, खिड़की या फिर ठिठुरती ठंड में लकड़ी ही हमें ठंड से बचाती है ।
क्या कभी सोचा है? ऐसे ही पेड़ों की कटाई होती रही तो हमें लकड़ी कैसे मिलेगी और बिना लकड़ी के जीवन  कैसा होगा। हालांकि लकड़ी का स्थान प्लास्टिक लेने की कोशिश कर रहा परंतु *समझदार लोग यह बात अच्छे से जानते हैं कि प्लास्टिक हमारे लिए और हमारी प्रकृति के लिए कितना हानिकारक है*। पेड़-पौधों तो हमारे जीवन रक्षक है इनके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते और ना ही यह हमारी प्रकृति के लिए हानिकारक है ।यह मौसम में बदलाव पेड़ों की वजह से ही हो रहा है।  बहुत ज्यादा सर्दी हो जाती है । कभी बहुत ज्यादा गर्मी हो जाती है। यह सब पेड़ों की कटाई की वजह से ही हो रहा है।अगर पेड़ नहीं होंगे तो उसका असर सबसे ज्यादा इंसानों पर होगा । पेड़ों के बिना  तो हम जीवित नहीं रह सकते हैं और ना ही पशु पक्षी।  पक्षी नहीं होंगे तो कीड़े -मकोड़ों की संख्या बढ़ जाएगी। खाने वाले ही नहीं होंगे तो कीड़े मकोड़ों की संख्या ज्यादा हो जाएगी । पक्षी तो पेड़ पर ही आएंगे।
हमारा बचपन  पेड़ों के नीचे खेलकूद, झूला झूल कर बिता है ।उसके बदले हम अपने बच्चों को क्या दे रहे हैं?  सब हमारे हाथ में है।  आज से हमें पेड़ों को लगाने की शुरुआत करनी चाहिए ।मैं प्रतिदिन आधा घंटा पेड़ पौधों को देती और पूरा साल पेड़ पौधे लगाती रहती हूं। पेड़ कितनी जगह मांगता है ? एक कदम और उसके बदले में हमें फल फूल, लकड़ी, ऑक्सीजन देता है । हमने तो हमारा जीवन पेड़ों के आसपास बता दिया। क्या हमारा फर्ज नहीं बनता कि हमारे बच्चों को हरा भरा जीवन प्रदान करें और आज ही पेड़ पौधे लगाने की शुरुआत करें।

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