Monday 28 November 2022

गाय को सामान्य पशु और गंगा को सामान्य नदी समझना है ही आसुरी वृति: गोपाल मणि

गाय को सामान्य पशु और गंगा को सामान्य नदी समझना है ही आसुरी वृति: गोपाल मणि
दिव्य पंचायत
बालोतरा।  महावीर गौशाला में चल रही भव्य धेनुमानस गौकथा के पांचवे दिन एंकर राजू माली ने बताया कि सैकड़ों गौभक्तों के बीच प्रवचन करते हुए प्रसंग में पूज्य संत श्री गोपाल मणि महाराज जी ने कहा कि श्रीकृष्ण है गाय के पीछे खड़े हैं भगवान कृष्ण का 120 वर्ष तक केवल एक ही मुद्दा रहा गौवर्द्धन  बस उन्होंने दुनियां को बताया कि मुझे अग़र ढूंढना है तो मैं गायों के पीछे मिलूंगा मतलब यह कि भगवान राम और कृष्ण का अवतार केवल गौ रक्षा गौ के संवर्द्धन के लिए हुआ है कलियुग के करोडो कृष्णभक्त गाय को पशु समझकर तिरस्कार कर रहे हैं ये कैसी कृष्णभक्ति है जबकि  अथर्ववेद में लिखा है कि गाय पशु नही है पशवो न गावः लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है इस देश लोग गाय को पशु समझते हैं और अपने को कृष्णभक्त कहते हैं मणि महाराज  ने कहा कि रावण ने भी यही भूल की थी उसने गाय को पशु समझा और गंगा को सामान्य नदी समझा इसीलिए रावण का पतन हुआ।
जिस देश के 80 करोड़ से अधिक लोग गाय को माता मानते हो उसको पूजते हो उसके प्रति आस्था का भाव रखते हों महराज जी ने कहा कि इस बात की अनुमति देश का संविधान भी देता है कि देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की आस्था का सम्मान करना और कराना देश की सरकारों का कर्तव्य है गाय पशु नही माता है इसलिए गौ को राष्ट्रमाता का संवैधानिक सम्मान मिलना ही चाहिए
जिसके लिए 2023  20 नवम्बर को पुनः गोपाष्टमी के दिन करोड़ों गौभक्त दिल्ली में एकत्रित होंगे आगे प्रसंग में मणि महाराज जी ने कहा भगवान राम और श्री कृष्ण भी इस धरा पर गौ के लिए है अवतरित हुए है.. आगे महाराज जी ने कहा कि जो जीते जी गाय की पूछ पकड़ लेते हैं उनको सहज रूप से अंत समय में गोलोक धाम की प्राप्ति हो जाती है सहजता से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। आगे महाराज जी ने सबका आह्वान किया कि आइए सभी सनातनी गौरक्षा के लिए गौ को सम्मान देने के लिए सब एक मंच पर आए क्योंकि गाय इस देश की धार्मिक आध्यात्मिक सांस्कृतिक धरोहर है इसलिए गौ को बचाना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है अभी नही तो कभी नहीं सरकारों को भी इस ओर कार्य करना चाहिए। पूज्य मणि जी ने कथा में हमारी भारतीय संस्कृति पर आधारित गौ माता के विशेषता बताते हुए कहा कि गौमाता के गल कंबल पे और बैल के कंधे पे हाथ फेरने से द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन का लाभ प्राप्त हो जाता है।गाय माता की पीठ पे हाथ फेरने से वी पी नियंत्रित हो जाता है पूज्य महाराज जी ने प्रसंग सुनाते हुऐ कहा कि महाभारत में जब द्रोपति का चीर हरण हो रहा था उसने सबसे प्रार्थना की पर किसी ने उसकी नही सुनी वही हालत आज गौमाता की है। महाराज जी ने सबसे गौमाता के सम्मान हेतु आवाहन किया।
 इस अवसर पर मुख्य आयोजक  पदाधिकारी मोहब्बतसिंह शिवपाल सिंह जय सिंह ओम सिंह कैलाश सिंह रतन खंडेलवाल राजू खंडेलवाल प्रवीण खंडेलवाल धर्मोबा भवानी सिंह पुरषोत्तम व्यास हीरालाल गोयल रामस्वरूप गर्ग श्याम बजारी बधुलता गोयल शारदा अग्रवाल राधे राधे महिला मंडल एवम आदि कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे हैं।

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