Thursday 5 October 2023

सुंदरता, सम्पन्नता, आनन्द और उल्लास की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रेरित कर रहा पालिया धाम - पूर्व मुख्यमंत्री राजे

सुंदरता, सम्पन्नता, आनन्द और उल्लास की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रेरित कर रहा पालिया धाम  -  पूर्व मुख्यमंत्री राजे
पहली बार मां रूपादे व रावल मल्लीनाथ जी के मंदिर में लगाई धोक
जसोल. मालाणी संस्थापक और राठौड़ वंश के आदि पुरुष संत शिरोमणि रावल मल्लीनाथ और राणी रूपादे के दर्शनो को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तिलवाड़ा पहुंची। जंहा वसुंधरा राजे ने राणी रूपादे व रावल मल्लीनाथ जी के मंदिरों में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ धोक लगाई। इस दौरान राजे ने मन्नत का नारियल माता की चौखट पर अर्पित किया। और देश-प्रदेश में खुशहाली की कामना की। राजे के तिलवाड़ा पहुंचने पर श्री रावल मल्लीनाथ श्री राणी रूपादे संस्थान सदस्य कुंवर हरिश्चंद्रसिंह जसोल व रावत त्रिभुवनसिंह (बाड़मेर) ने भव्य स्वागत किया एवम् श्री मल्लीनाथ गौशाला समिति व श्री रावल मल्लीनाथ श्री राणी रूपादे संस्थान की और से स्मृति चिन्ह भेंट किया। राजे ने संस्थान सदस्यों के साथ रुपसरोवर तालाब पर कुर्जा के मनोरम दृश्य को देखा। इस दौरान राजे ने रावल श्री मल्लीनाथजी के 25वें गादीपति व संस्थान अध्यक्ष रावल किशनसिंह जसोल के मार्गदर्शन में करवाए गए भव्य विकास कार्यों को लेकर उनसे दूरसंचार के माध्यम से बातचीत करते हुई बधाई दी। राजे ने कहा कि राणी रूपादे जी व रावल मल्लीनाथ जी के दर्शनों की लम्बे समय से इच्छा थी, जो आज पूरी हुई। यंहा के साक्षात् दर्शन मन को मालाणी क्षेत्र के प्रति जोड़ रहा हैं। लुणी नदी के किनारे बने धाम की सुंदरता, सम्पन्नता, आनन्द और उल्लास नई ऊंचाइयो को छूने के लिए भी अब प्रेरित कर रही है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन व मौसम हमेशा स्थिर नहीं रहते हैं महान संतों के बताए गए मार्ग पर चलने से हमेशा सर्व कार्य सिद्ध होते है। सुख-दुख जिंदगी में आते रहते हैं, लेकिन मनुष्य को कभी हौसला नहीं खोना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि लोगों का यही प्यार, यही आशीर्वाद और यही साथ ही हमारी सबसे बड़ी दौलत है। इसके बिना हम अधूरे है। मेरी माता राजमाता साहिबा ने भी मुझे यही सिखाया है। राजे ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान का इतिहास संजोए हुए मालाणी क्षेत्र अपनी एक अलग ही पहचान रखता है। यहां रावल मल्लीनाथ जी और राणी रूपादे जी ने जो आदर्श स्थापित किए हैं, वे हम सभी के लिए प्रेरणादायक हैं। ये भूमि वीर योद्धाओं व महान तपस्वी संतों की है। यहां रावल मल्लीनाथजी ने 700 वर्षों पूर्व सन्तों का समागम करवाया। जिसमें श्री राणी रूपादे जी के गुरु श्री उगमसी भाटी, गुरु भाई मेघधारूजी, संत शासक महाराणा कुंभा व उनकी रानी (मेवाड़), बाबा रामदेव जी रामदेवरा (पोखरण), जैसल धाड़वी व उनकी रानी तोरल (गुजरात) सहित अन्य समकालीन संतो ने भाग लिया और समरसता,धर्म व सत्य मार्ग की जोत जगाई जो उनके भजनों के माध्यम से राजस्थान व गुजरात में बसे उनके अनन्य भक्तों में मन में प्रज्वलित है। लूणी नदी के किनारे श्री रावल मल्लीनाथ जी मंदिर (मालाजाल) में जो संत समागम की शुरुआत हुई, उसका अब विश्व विश्विख्यात पशु मेले के रूप में प्रतिवर्ष आयोजन लूणी नदी के किनारे निरंतर होता आ रहा है। उन्होंने कहा कि राणी रूपादे के भजनों में बताये गए उपदेश और सत्य के मार्ग पर चले तो मनुष्य के हर कार्य सिद्ध होते हैं। राणी रूपादे जी का मन्दिर (पालिया) तिलवाड़ा छत्तीसी कौम के लिए प्रमुख आस्था का केन्द्र है। यहां पर हर रोज सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन लाभ लेते हैं। प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष बीज (द्वितीया) तथा मार्गशीष शुक्ल पक्ष पंचमी (पाटोत्सव) में भव्य मेलों का आयोजन (भव्य रात्रि जागरण, महाप्रसादी) संस्थान द्वारा करवाया जाता है जिसमें श्री रावल मल्लीनाथजी व श्री राणी रूपादे जी के अनन्य भक्त हाजरी लगाकर दर्शन लाभ लेते है। इस दौरान पूर्व विधायक शेरगढ़ बाबूसिंह राठौड़, पूर्व राजस्व मंत्री अमराराम चौधरी, समाजसेवी जोगेंद्रसिंह चौहान, भाजपा नेता मदनराज चोपड़ा, रूपचंद सालेचा अध्यक्ष (cept ट्रस्ट बालोतरा), संस्थान समिति सदस्य सुमेरसिंह वरिया, गुलाबसिंह डंडाली, गणपतसिंह सिमालिया, गजेंद्रसिंह जसोल, सूरजभानसिंह दाखा, राजेश भाई कौशल, जोगसिंह, रघुवीरसिंह, शैतानसिंह, प्रवीण जैन असाड़ा, जगदीशसिंह, विक्रमसिंह, पूर्णसिंह डंडाली, ओमप्रकाश चौधरी, अशोक चौधरी दुदुवा, नरेंद्र भाई कौशल, जितेंद्र मेवाड़ा सहित सैकड़ों की संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।

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