राजस्थान पहला राज्य, जहां विगत तीन वर्षों में आईएएस और आरएएस अधिकारियों के विरुद्ध कुल 72 प्रकरण दर्ज किये गये
गृहमंत्री ने बताया कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में दर्ज प्रकरणों में 11 आईएएस तथा 120 आरएएस अधिकारियों के विरुद्ध न्यायालय में चालान पेश किये गये तथा 23 आईएएस तथा 112 आरएएस अधिकारियों के विरुद्ध अंतिम प्रतिवेदन प्रस्तुत किये गये। उन्होंने बताया कि 24 आईएएस व 86 आरएएस अधिकारियों के विरुद्ध दर्ज प्रकरण लम्बित है।
कटारिया ने बताया कि उक्त अधिकारियों के विरुद्ध आलोच्य अवधि में दर्ज 56 प्रकरणों में जांच लम्बित है एवं जिन प्रकरणों में न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया जा चुका है, उनमें से 5 प्रकरणों को सीआरपीसी की धारा 173(8) में लम्बित रखा गया है। उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में दर्ज प्रकरणों में अंकित आरोप काफी जटिल प्रकृति के होते हैं , जिनकी जांच में विभिन्न कानूनी पहलुओं से परीक्षण संबंधित विभागों से अभिलेखादि एकत्रित एवं अवलोकन करने एवं नियमों के अनुरूप विश्लेषण एवं परीक्षण करने तथा विधि विज्ञान प्रयोगशाला में परीक्षण करवाने इत्यादि में समय लगना स्वाभाविक है। अतः प्रकरणों की जांच पूर्ण कर दोषियों के विरुद्ध चालान प्रस्तुत करने के संबंध में ब्यूरो द्वारा निश्चित समयावधि नहीं बताई जा सकती है, इसके बावजूद ब्यूरो द्वारा त्वरित गति से प्रकरणों में जांच पूर्ण करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
इससे पहले विधायक मोहन लाल गुप्ता के मूल प्रश्न के उत्तर में गृह मंत्री ने बताया कि कुल 60 आईएएस एवं आरएएस अधिकारियों के विरूद्ध 72 प्रकरण दर्ज हुए।
उन्होंने बताया कि उक्त प्रकरणों में से 10 प्रकरणों में चालान एवं 6 प्रकरणों में अंतिम प्रतिवेदन माननीय न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया गया है। गृहमंत्री ने बताया कि आलोच्य अवधि में दर्ज 56 प्रकरणों में उक्त अधिकारियों के विरूद्ध जांच लम्बित है। कटारिया ने बताया कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में दर्ज प्रकरणों में अंकित आरोप जटिल प्रकृति के होते हैं, जिनकी जांच में विभिन्न कानूनी पहलुओं से परीक्षण, सम्बंधित विभागों से अभिलेखादि एकत्रित/अवलोकन करने एवं उनका नियमों के अनुरूप विश्लेषण/परीक्षण करने तथा विधि विज्ञान प्रयोगशाला में परीक्षण करवाने इत्यादि में समय लगना स्वभाविक है। अतः प्रकरणों की जांच पूर्ण कर दोषियों के विरूद्ध चालान प्रस्तुत करने के संबंध में ब्यूरो द्वारा निश्चित समयावधि नहीं बताई जा सकती है, इसके बावजूद ब्यूरो द्वारा त्वरित गति से प्रकरणों में जांच पूर्ण करने के प्रयास किए जा रहे है।
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