Monday 23 October 2017

तीन महीने से पड़े के नीचे बेडिय़ों से बंधा हुआ है लूणाराम

कहां हैं सरकार, सो रहा हैं प्रशासन?
इंसान पशु से भी बदतर जिंदगी जीने को मजबूर
तीन महीने से पड़े के नीचे बेडिय़ों से बंधा हुआ है लूणाराम


आज करीबन दोपहर एक बजे का समय होगा मैं पाटोदी में अस्थाई बस स्टेण्ड पर बाईक खड़ी कर दोस्त की मोबाईल की दुकान की ओर जाने लगा तभी पास खडें टेक्सी चालक गोपसिंह राजपुरोहित ने आवाज दी कि बंशी इधर आओ.....मैंने पीछे देखा और उनके पास गया, उन्होने ने जो बात बताई जो रौंगटे खड़ा कर देने वाला था उन्होने बताया कि अपने पड़ौस में लूणाराम जो मानसिक स्थिति ठीक नही होने से खेजड़ी के पेड़ से बंधा हुआ हैं।




इतना सुनते ही मैने दोस्त की दुकान जाने के बजाय मोटर साईकिल को स्टार्ट किया और सीधा भाखरसर ग्राम पंचायत के मेघोणी कुम्हारों की ढाणी लूणाराम के हालात जानने उनके घर की ओर रवाना हो गया, वहां पहुंचा तो उनका  आगे चार पांच लडक़े और एक महिला मायूस स्थिति में खडे थे, पास ही कि खेजडी से नीचे लोहे की सांकल से बांधा हुआ लूणाराम जोर जोर से अपने आप से बाते करता हुआ बिना कपड़ो के बैठा था, मैने लूणाराम के हालात के बारे में पूछा तो छोटे भाई हुकमाराम ने जो बात बताई वो इंसान के दिल को हिला देने वाली थी, उसने बताया कि लूणाराम की मानसिक स्थिति ठीक नही होने से पिछले तीन महिने से खेजडी बांधा हुआ है, उसने बताया कि खुला छोडऩे पर भाग जाता है, लोगों के घरों में घुस जाता हैं इसके डर से बांधा हुआ हैं, किसी अच्छे अस्पताल में ले जाकर ईलाज कराने की हिम्मत हमारी नही है, उसके परिवार के बारे में पूछा तो बताया कि पास में खडी महिला इसकी पत्नी हैं तथा पांच संतान हैं यह सुनकर मेरे दिमाक ने गुलाटी मारते हुए सोचने पर मजबूर कर दिया कि भला भगवान भी ऐसे गरीब व्यक्ति से क्या मांग रहा हैं जो इस तरह से मजबूर इंसानों को परेशानी में डाल कर कौनसी परीक्षा लेना चाहता हैं। गरीब बेसहारा लूणाराम की पत्नी की सूखी आंखे दिन भर खेजडी की ओर देखती हैं ओर मन ही मन सोचती है कि कब मेरा पति सही होगा और मेरे सुनहरे दिन लौटेंगे। दूसरी और छोटे-छोटे मासूम बच्चे भी अपने पापा के ठीक होने का इंतजार कर रहे हैं, आखिर बिना ईलाज के कोई व्यक्ति कैसे ठीक होगा, मेरा प्रशासन और  सरकार से निवेदन है कि वह आगे आए और लूणाराम का ईलाज करवा कर उसे मुख्यधारा की जिंदगी जीने के लिए परिवार को सहायता दे ताकि कोई इंसान पशु से बदतर हालातों से उभर कर सामने आए।

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