अतंर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश भंडारी सपरिवार पहुंचे नाकोड़ा तीर्थ
पूजा अर्चना कर मांगी खुशहाली की कामना
पूजा अर्चना कर मांगी खुशहाली की कामना
बालोतरा। जस्टिस दलवीर भंडारी हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में दूसरी बार निर्वाचित होने के बाद आज पहली बार सपरिवार प्रसिद्ध जैन तीर्थ नाकोड़ा पहुंचे तथा नाकोड़ा जैन मंदिर के दर्शन कर पूजा अर्चना कर खुशहाली की कामनाएं की। इस दौरान जस्टिस भंडारी का नाकोडा ट्रस्ट द्वारा स्वागत एवं अभिनंदन किया।
इस दौरान जिला न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास, एएसपी कैलाशदान रतनू, उपखंड अधिकारी भागीरथ चौधरी, राना के प्रेम भंडारी, पवन मेहता, हुलास बाफना सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
जस्टिस भंडारी का आज वापस जोधपुर से दिल्ली जाने का कार्यक्रम है। जस्टिस भंडारी का दौरा पूरी तरह से निजी है। इंटरनेशनल कोर्ट में निर्वाचन के बाद वह अपने मित्रों रिश्तेदारों से मिलने के लिए जोधपुर आए हैं तथा यहां से नोकड़ा के प्रसिद्ध जैन तीर्थ पर दर्शनार्थ पहुंचे हैं।
रोचक रहा था जस्टिट भंडारी का निर्वाचन
इंटरनेशनल कोर्ट में भंडारी का दूसरी बार निर्वाचन हुआ हैं। लम्बी चुनाव प्रक्रिया के बाद जस्टिस दलवीर भंडारी के प्रतिद्वंद्वी ब्रिट्रिश जस्टिस क्रिस्टोफर ग्रीनवुड ने अपनी दावेदारी वापस ले ली। जिस पर जस्टिस भंडारी के दूसरी बार निवार्चन की घोषणा हुई थी। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में पहुंचने वाले जस्टिस भंडारी दूसरे भारतीय है। इससे पूर्व भारत से जस्टिस नगेन्द्र सिंह इस संस्थान में दो बार निर्वाचित हो चुके है।
राजनीति में भंडारी की जीत बड़ी कूटनीति
वास्तव में जस्टिस भंडारी की यह जीत भारतीय कूटनीति की संयुराष्ट्र महासभा में अप्रत्याशित जीत है, क्योंकि 12वें राऊंड में ब्रिटेन के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि मैथ्यू रॉयक्राफ्ट ने दलवीर की मजबूत स्थिति को देखकर अपने उम्मीदवार क्रिस्टोफर ग्रीनवुड का नाम वापस ले लिया। यह आईसीजे के 71 साल के इतिहास में पहली बार है जब ब्रिटेन का इसमें कोई सदस्य नहीं है।
क्रिस्टोफर ग्रीनवुड संयुक्तराष्ट्र महासभा में पांच स्थायी सदस्य वाले देश ब्रिटेन के प्रतिनिधि थे। लेकिन दुनिया भर में अपनी भद पिटने की आशंका देखकर ब्रिटेन ने ऐन वक्त पर अपनी दावेदारी वापस ले ली।
इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली में उन्हें 183 वोट मिले। जबकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सभी 15 सदस्यों ने जस्टिस भंडारी को वोट दिया।
सही अर्थो में देखा जाए तो पी-5 (अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन)सदस्य देश के पास पांच देशों का समर्थन होता है और उन्हें 15 सदस्यों वाले स्थायी सुरक्षा परिषद में केवल तीन देशों का समर्थन जुटाने की आवश्यकता पड़ती है। इसके बरअक्स भारत जैसे देशों को आठ सदस्यों के समर्थन की जरूरत पड़ती है।
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