Saturday 16 December 2017

राजस्व गांव का एकमात्र विद्यालय मर्ज, एक साल से स्कूल से दूर छात्र

मर्ज कर बंद किये विद्यालय के बच्चे नही जा रहे स्कूल,

लम्बी दूरी मुख्य कारण
-राजस्व गांव का एकमात्र विधालय एक साल से बंद


दिव्य पंचायत न्यूज़ नेटवर्क
धोरीमन्ना। मे मीठड़ा खुर्द ग्राम पंचायत मे राजस्व गांव भुकंरो का तला राजकीय प्राथमिक विद्यालय पिछले एक साल से सरकार द्वारा मर्ज कर बंद कर दिया गया।इसके अलावा विधालय विधानसभा बुथ भाग संख्या एक सौ अड़तालीस मतदान केंद्र स्थल भी है लेकिन पिछले साल एक साल से बंद है एवम् इस राजस्व गांव मे अन्य सरकारी भवन वह विधालय नही है सरकार की शिक्षा नीति मे बार बार बदलाव का सर्वाधिक असर यहा के दूरदराज ढाणियो मे रहने वाले ग्रामीण विधार्थियों पर पड़ रहा है ओर राजस्व गांव भुकंरो का तला क्षेत्र के बच्चो को शिक्षा के लिए चार किलोमीटर दूर मीठड़ा खुर्द जाना पड़ रहा है इसके कारण इस गांव के बच्चों की पढ़ाई भी बीच मे छूट गई है यहा भी मुख्य कारण इस राजस्व गांव से मीठड़ा खुर्द तक चार किलोमीटर दूरी होने के कारण बीच रास्ते मे जंगल ओर सुनसान जगह होने के कारण नन्हे बच्चे विधालय तक जाने के वन्यजीवों एवम् जंगली श्वानों का भय बना रहता है ऐसे मे बच्चो को दूर विधालय मे भेजना ग्रामीणों के लिए संभव नही है ग्रामीणो की मांग है कि मर्ज किया विधालय पुन: प्रारंभ किया जाये ताकि ग्रामीण बालक बालिकाएं पढ़ाई से वंचित नही रहे।

इनका कहना है 

पंचायत स्तर पर  शिक्षा अधिकारी से बात कर स्कूल फिर से चालू करवाने का प्रयास करूंगी।

*कमला चौधरी सरपंच ग्राम पंचायत मीठड़ा खुर्द*


इनका कहना है 

सरकारी स्कूल को बंद करने का निर्णय सरकार का तुगलकी फरमान जैसा फैसला है अनुभवहीन भाजपा सरकार जिस  उद्देश्य से स्कूल बंद कर रही है उसको पहले इतिहास से सीख लेनी चाहिए।क्योंकि अधिकतर स्कूल आज से पन्द्रह-बीस वर्ष पूर्व उन क्षेत्रों स्कूले बनाई गई थी जिसे अनेक ग्रामीण बच्चे शिक्षा लेकर आज अच्छा रोजगार पा रहे है

*भंवरलाल विश्नोई सामाजिक कार्यकर्ता मीठड़ा खुर्द*


इनका कहना है
राज्य सरकार एक तरफ बालक  बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा कि बात कह रही है एक तरफ तो  सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा अलाप रही है जबकि दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्र भुकंरो का तला विधालय पिछले एक साल से मर्ज कर बंद कर दिया गया अभिभावकों मे गहरा रोष व्याप्त है विधालय शुरू नही हुआ तो आंदोलन का रास्ता अपनाने पर ग्रामीण मजबूर होगें।

*भींयारा

म भुंकर ग्रामीण*

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