प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में अभी से धड़ें बंदी शुरू होने लगी है
दिव्य पंचायत न्यूज़ नेटवर्क
जिसमें अपनी अपनी पसंद के नेताओं को आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की टिकट दिलाना है , इसमें वे कितने सफल होंगे और कितने नहीं होंगे इसी पर आगामी मुख्यमंत्री के पद का निर्णय होने की आस लगाए बैठे हैं । जबकि अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान करेगी कि कांग्रेस की सरकार बनेगी तो मुख्यमंत्री कौन होगा ? वैसे पार्टी महासचिव अशोक गहलोत इसी आशा के साथ दिल्ली में बैठे हैं कि राज्य के भावी मुख्यमंत्री वही बनेंगे अगर सरकार बनी तो , इसी तरह से गहलोत के केंद्रीय संगठन में जाने से प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और उनकी टीम को यह भरोसा हो चला है की अगर सरकार बनी तो मुख्यमंत्री की लॉटरी पायलट के नाम की ही निकलेगी ।
इसी दौड़ में कांग्रेस के एक और महामंत्री डॉ सी पी जोशी भी हैं जो महामंत्री के पद पर अनफिट साबित हुए तभी उन्होंने दूसरा मार्ग अपनाया और क्रिकेट की खेल में राजनीति करने लगे , फिलहाल वे आरसीए के अध्यक्ष निर्वाचित हो चुके हैं , लेकिन उनका पद सुरक्षित नहीं है क्रिकेट की राजनीति के साथ-साथ वे अपनी लोबी के नेताओं को सक्रिय कर रहे हैं तथा आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट दिलाने का वायदा कर रहें हैं कि उनकी पहुंच राहुल गांधी तक सीधी है । एक समय जब वे प्रदेश अध्यक्ष थे तो स्वयं को राहुल गांधी का खासमखास बताकर मुख्यमंत्री पद के दावेदारी कर रहे थे लेकिन उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र से एक वोट की करारी हार मिलने के कारण वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ से आउट हो गए ।गुटबन्दी की इस दौड़ में एकमात्र नेता जो इस समय कांग्रेस विधायक दल के नेता रामेश्वर डूडी हैं जिन्होने अभी तक अपना गुट बनाने की कोशिश नहीं की या वह सफल नहीं हुए , उन्हें कोई भी मुख्यमंत्री पद के योग्य या दौड़ में नहीं मानता है क्योंकि जाट जाति के दिग्गज नेता भी मुख्यमंत्री की दौड़ में असफल रहा चुके हैं इसलिए वह कभी सचिन पायलट के तो कभी अशोक गहलोत के आगे पीछे चलते रहते हैं , जाट जाति के होने के बावजूद भी उन्होंने जाट जाति के नेताओं को अपने साथ एकत्रित नहीं किए क्योंकि उनमें नेतृत्व की भारी कमी है जो उनके आड़े आ रही है विधानसभा में भी मैं कोई ऐसा अपना स्थान तय नहीं कर पाए जिससे कहा जाए कि वह कांग्रेस के सशक्त जाट नेता हैं , इस कारण जाट जाति के वरिष्ठ और कनिष्ठ दोनों तरह के नेता उनसे दूरियां बनाए रखते हैं ।
उपरोक्त तीनों नेताओं के अलावा कोई ऐसा नेता फिलहाल प्रदेश कांग्रेस में नजर नहीं आ रहा जो भावी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बने या दावेदारी करें अन्य वरिष्ठ नेता जो कभी मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे थे वह राजनीति के ठंडे पन्नों में अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं कुल मिलाकर स्थिति यह है की अशोक गहलोत और सचिन पायलट की बजाए डॉक्टर सीपी जोशी कहीं भी सक्रिय नहीं है और आगामी चुनाव के नजदीक आते आते हैं इस दौड़ में ठीक वैसे ही कूदेंगे जैसे " बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना " क्योंकि उनके नाम के साथ एक बदकिस्मत और फ्लॉप नेता का किताब चस्पा हो चुका है , जिससे पीछा छुड़ाना उनके बस की बात नहीं है क्योंकि वह तुनकमिजाज होने के साथ-साथ अकड़ू भी है इसी कारण आरसीए में भी उनकी दाल ज्यादा दिन गलने वाली नहीं है ।
आगामी विधानसभा चुनाव नवंबर के अंत में होना संभावित है उससे पहले प्रदेश कांग्रेस में उम्मीदवारी को लेकर बड़ा शीत युद्ध होगा जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा महामंत्री अशोक गहलोत भारी पड़ेंगे लेकिन टांग फंसाने का काम डॉक्टर जोशी से ज्यादा सचिन पायलट करेंगे जिनके साथ प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री रहेंगे , ऐसा सोचा जा रहा है लेकिन अशोक गहलोत के कांग्रेस मुख्यालय का सर्वे सर्वा होने के कारण टिकटार्थियों की भीड़ सबसे ज्यादा उनकी तरफ ही आकर्षित रहेगी जिसकी शुरुआत अभी से हो रही है , गहलोत ही प्रदेश के एकमात्र नेता ऐसे हैं जो राज्य की 200 विधानसभा सीटों में बराबर की पकड़ रखते हैं इसी कारण उनकी नजरों में जिताऊ और टिकाऊ उम्मीदवार की संख्या अंगुलियों पर रहती है ।
#सत्य पारीक साहित्यकार एवं राजनीतिक विशेषज्ञ
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