भगवान स्वयं उपस्थित होकर सुनते है कथाः बाल साध्वी प्रेम बाईसादूदवा में भागवत कथा का दूसरा दिन उमडा भक्तोे का सैलाब
बालोतरा। निकटवर्ती दूदवा गांव में मां रूपादे मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर शुरू हुई मद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा वाचन करते हुए बाल साध्वी प्रेम बाईसा ने कहा कि जहां-जहां भी परमपिता परमात्मा के लीलावतारों की कथा प्रवचन और गुणगान होता है वहां पर भगवान स्वयं सूक्ष्म रूप में उपस्थित होकर कथा का श्रवण करते है।
उन्होनें श्रीमद्भागवत महापुराण पर प्रवचन के दौरान सत्संग की महिमा का बखान करते हुए कहा कि दुनिया भर में आज अराजकता का माहौल बन रहा है। मगर इसके बावजूद सत्संग के कारण यह पृथ्वी मौजूद है। अन्यथा कब का प्रलय हो जाता। उन्होनें कहा कि जब-.जब भी धरती पर पाप और अत्याचार बढ़े है। तब भगवान ने स्वयं विविध रूपों में अवतार लेकर पापियो-ं.अत्याचारियों का संहार कर अपने भक्तों को भयमुक्त किया है। त्रेता युग में भी जब पृथ्वी पर लंका नरेश एवं राक्षसराज रावण के पाप अत्याधिक बढ़ गए थे। उस समय भगवान श्रीराम के रूप में रधुकुल में नर रूप में अवतार लेना पड़ा था। इसी प्रकार द्वापर युग में कंस के अत्याचारों से अपने भक्तों को मुक्त कराने के उद्देश्य से श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था।
बाल साध्वी ने कथा के दूसरे दिन महाभारत काल में भगवान की लीलाओं के विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि जो आपसे दुश्मनी रखता है उससे प्रेम कीजिए वह अपने आप दुश्मनी भूल जाएगा। उन्होनें बताया कि वर्तमान समय में हमें संस्कार विहीन करने का कुचक्र चलाया जा रहा है। जिसके कारण मानव पथभ्रष्ट होता जा रहा है। मगर संतों के बताए मार्ग का अनुसरण कर एवं भगवान के नाम के सुमिरन से समूचे विश्व का कल्याण संभव है।
कथा सुनने को उमडे भक्त भाविक
- ग्रामीण कुभाराम जांणी ने बताया कि कथा सुनने को लेकर दूदवा सहित आज-पास के क्षेत्र के हजारों की संख्या में भक्त भाविक आ रहे हैं तथा भक्त भाव में सरोबार होकर झूमते नजर आते हैं, कथा को लेकर ग्रामीणोें द्वारा भक्तों के बैठने की विशेष व्यवस्था की गई हैं। पांडाल में महिलाआ और पुरूष भक्तों के लिए बैठने की अलग-अलग व्यवस्थाएं की गई हैं। कथा के दूसरे दिन राजस्व राज्य मंत्री अमराराम चौधरी, महंत प्रतापपुरी महाराज ने शिरकत किया।]
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