महर्षि वाल्मीकि की जयंती राजस्थान ह्यूमन रिसोर्स डवलपमेंट फाउंडेशन के सानिध्य में मनाई
अर्जुन दर्जी
गुड़ामालानी। वाल्मीकि समाज भवन में राजस्थान ह्यूमन रिसोर्स डवलपमेंट फाउंडेशन के सानिध्य में वाल्मीकि समाज सहित 36 कोम के लोगों विभिन्न हिंदू संगठनों ने कार्यक्रम में भाग लिया,कार्यक्रम अध्यक्ष प्रधान बिजलाराम, मुख्य अतिथि मंडल अध्यक्ष पुरुषोत्तम जैन, मुख्य वक्ता राष्ट्रीय सेवक संघ के विभाग कार्यवाह धन्नाराम भदरु, कृष्णा बेन ब्रह्मकुमारी ने भगवान महर्षि वाल्मीकि की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम की विधिवत् शुरुआत,वाल्मीकि समाज के द्वारा मुख्य अतिथियों का साफा व माला पहनाकर स्वागत किया गया, कार्यक्रम को प्रधान बिजलाराम ने संबोधन करते हुए कहा कि भगवान वाल्मीकि जी के जीवन परिचय महासाधना,तपस्या द्वारा भगवान वाल्मीकि के रूप में जगत् में विख्यात हुए।
वाल्मीकि का अर्थ दीमक होता है।घोर तपस्या से दीमक की बांबी से उनका शरीर ढक गया। इसलिए भगवानवाल्मीकि कहलाए।भगवान वाल्मीकिजी रचित रामायण का घर घर में पारायण होता है जगद्जननी मां सीता को शरण देकर नारी सम्मान का आदर्श प्रस्तुत किया। मातृवत परदारेषु परद्रव्येषु लोष्टवत,आत्मवत सर्वभूतेषु य पश्यति स पण्डितःलव कुश का निर्माण।यानि भारतीय समाज को संस्कारित नवीन पीढ़ी को प्रदान करना।मुख्य अतिथि परसोत्तम जैन ने रामायण के माध्यम से प्रजा, पिता, माता, भ्राता, पत्नी, सेवक, मित्र के प्रति किसी राजा अथवा सामान्यजन का कैसा आदर्श व्यवहार हो सकता है,यह भगवानवाल्मीकि ने प्रस्तुत किया है।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय सेवक संघ विभाग कार्यवाह धन्नाराम भदरू ने कहा कि महापुरुष समग्र समाज के होते है, समाज, राष्ट्र के लिए प्रेरणास्रोत होते हैं।ऐसा ही दिव्य जीवन भगवान वाल्मीकिजी का था।
कार्यक्रम में वाल्मीकि समाज के अध्यक्ष भंवरलाल, चिमनलाल, माणकाराम,ओमप्रकाश, रमेश कुमार,गादेवी सरपंच प्रतिनिधि नरिंगाराम मेघवाल,नई उउड़ी सरपंच प्रतिनिधि डायाराम मेगवाल, बारासण सरपंच धनाराम भील, डॉ रावताराम भाखर, मदनलाल सेन,प्रकाश नामा,दिलीप शर्मा,ओमप्रकाश मांजू,सुरेश सेवग, दुदाराम चौधरी, हेमाराम कोडेसा,लक्ष्मण पटेल सहित वाल्मीकि समाज की महिला.पुरुषों व 36 कौम के लोगों ने कार्यक्रम में लिया भाग। कार्यक्रम में मंच संचालक गौतमलाल अंणखिया द्वारा किया गया
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