Sunday 16 October 2022

बजरी दरें व गुडांगर्दी के विरोध में आंदोलन: प्रशासन ने मांगे नहीं मानी, आरएलपी उतरेंगी सड़कों पर

बजरी दरें व गुडांगर्दी के विरोध में आंदोलन: प्रशासन ने मांगे नहीं मानी, आरएलपी उतरेंगी सड़कों पर
दिव्य पंचायत 
बालोतरा: बजरी खनन को लेकर बजरी माफियाओं व रॉयल्टी के बीच तकरार लगातार बढ़ता जा रहा है। साथ ही रॉयल्टी ठेकेदार मंहगी दरों में बजरी बेचकर जनता को लूटने में लगे हुए है। इसको लेकर आरएलपी एक बार फिर धरना देकर बड़े आंदोलन की तैयारी कर ली है। सोमवार को आरएलपी बालोतरा डाक बंगले परिसर में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर रही है। आरएलपी प्रदेश महामंत्री उम्मेदाराम बेनीवाल ने सिणधरी दौरे के दौरान प्रेसवार्ता कर कांग्रेस सरकार व विधायकों पर आरोप लगाते हुए कहा कि बजरी माफिया ठेकेदार लोगों को लूटने व गुंडागर्दी करने के लिए संरक्षण दे रखा है। सरेआम फायरिंग, गाड़ियों में तोड़फोड़ व मारपीट की घटनाए आए दिन हो रही है। दरअसल, सुप्रीम कोटे के आदेश के बाद 8 सितंबर से पचपदरा तहसील क्षेत्र में बजरी ठेकेदार ने बजरी का वैध खनन शुरू कर जगह-जगह नाके लगा दिए। इसके बाद से बजरी के अवैध खनन लगाम लगानी शुरू हो गई। बावजूद इसके कुछ लोग चोरी-छिपे नदी में अवैध बजरी का परिवहन कर रहे है, इसे लेकर कई बार रॉयल्टी कार्मिक व बजरी माफियों के बीच मारपीट, तोड़फोड़ व वाहनों में टक्कर मारने की घटनाएं होती आ रही है। साथ में बजरी ठेकेदार मंहगी दर वसूल कर रहा है। इससे इलाके के लोगों में गुस्सा है।
एक माह पहले दिया था धरना 
उम्मेदाराम बेनीवाल ने कहा कि 25 सितंबर को आरएलीपी ने बजरी की दरें कम करने को लेकर भगतसिंह सभा स्थल, बालोतरा में धरना दिया था। तब बड़ी संख्या में इलाके के लोग इकट़्ठे हुए थे। प्रशासन ने 15 दिन का समय मांगा था। समय बीत जाने के बाद भी मांगे नहीं मानी गई। सोमवार को अनिश्चित कालीन धरना देंगे और आने वाले समय में बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा तो भी करेंगे।
*कांग्रेस बीजेपी का आरोप लगाने का काम* 
आरएलपी नेता उम्मेदाराम बेनीवाल ने बीजेपी- कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगाकर लोगों को गुमराह करने का काम कर रही है। वहीं बेनीवाल ने कांग्रेस सरकार व विधायकों पर आरोप लगाते हुए कहा कि बजरी माफिया ठेकेदार को लोगों को लूटने व गुंडागर्दी करने के लिए संरक्षण दे रखा है। बजरी खनन में सरकारी टैक्स भरने व भराई के अलावा कोई भार नहीं हैं जिसमें साठ रुपए प्रतिटन का खर्चा आता है। बजरी की प्रतिटन के हिसाब से अधिकतम अस्सी से सौ रुपए तक होनी चाहिए। लेकिन सरकार व स्थानीय दोनों पार्टियों के नेताओं की हिस्सेदारी के कारण साढ़े पांच सौ रुपये की वसूली की जा रही हैं।

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